Thursday, 4 June 2015

तुम गये चितचोर् (Tum Gaye Chitchor) - गोपालदास 'नीरज'(Gopaldas 'Neeraj')

स्वप्न्-सज्जित प्यार मेरा,
कल्पना का तार मेरा,
एक क्षण मे मधुर निषठुर् तुम गये झकझोर्!
तुम गये चितचोर्!

हाय! जाना ही तुम्हे था,
यो' रुलाना ही तुम्हे था,
तुम गये प्रिय, पर गये क्यो' नही' ह्रदय मरोर्!
तुम गये चितचोर्!

लुट गया सर्वस्व मेरा,
नयन मे' इतना अन्धेरा,
घोर निशि मे' भी चमकती है नयन की कोर्!
तुम गये चितचोर्!

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